CG Chirayu Yojana : छत्तीसगढ़ में चिरायु योजना से मिल रहा है बच्चों को नया जीवन…लगातार हो रहा है सफल उपचार
![CG Chirayu Yojana: In Chhattisgarh children are getting new life from Chirayu Yojana…successful treatment is happening continuously](https://navbhaskarnews.com/wp-content/uploads/2023/07/1688457358_9549ee6167d84be39a3f.jpeg)
रायपुर, 04 जुलाई। CG Chirayu Yojana : बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (चिरायु) जन्म से ही स्वास्थ्य गत समस्याओं से पीड़ित बच्चों के लिए जीवन दायिनी साबित हो रही है। इस योजना का उद्देश्य बच्चों में 04 प्रकार की परेशानियाँ जैसे डीफेक्ट एट बर्थ, डिसएबिलिटी, डेवलेपमेन्टल डिले, डेफिसिएन्सी की जाँच एवं उपचार कर रोगों को आगे बढ़ने से रोका जा सके। कार्यक्रम अंतर्गत 0 से 18 वर्ष तक की आयु के बच्चों जो कि आंगनबाड़ी व सरकारी एवं सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों में अध्ययनरत है उन्हें शामिल किया गया है। कार्यक्रम अंतर्गत साल में 02 बार समस्त ऑगनबाडियों में दर्ज बच्चे एवं साल में 01 बार समस्त शासकीय विद्यालयों का भ्रमण कर समस्त बच्चों का प्रारंभिक स्वाथ्य जाँच किये जाने का लक्ष्य रखा गया है।
योजना के अंतर्गत महासमुंद जिले में अब तक 874 बच्चों के लिए वरदान साबित हुआ है। इसमें 126 कटे-फटे होंठ एवं तालु, 195 क्लब फुट, 82 कंजेनाईटल केटेरेक्ट 21 न्युरल ट्यूब डिफेक्ट, 450 जन्मजात हृदय रोग (कंजेनाईटल हार्ट डीसिस) से पीड़ित बच्चों का सफल उपचार किया गया है। जिले में जाँच हेतु 09 मोबाईल स्वास्थ्य टीम काम कर रही हैं। प्रत्येक टीम में 02 चिकित्सक, 01 फार्मासिस्ट, 01 लैब टेकनिशियन, 01 ए.एन.एम. की पदस्थापना की गई है।
ग्राम तमोरा विकासखण्ड अंतर्गत बागबाहरा शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला में अध्ययन कर रहा बालक नीलकंठ निषाद थैलेसीमिया व स्प्लेनोमेगाली नामक बीमारी से ग्रसित था । चिरायु टीम द्वारा शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला ग्राम तमोरा के समस्त बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण के दौरान स्वास्थ्य परीक्षण में उसके हाथ पैर सामान्य के अपेक्षा पतले पाये गये व मरीज का पेट फूले होने के साथ आँखे थोड़ी बाहर की तरफ पायी गई। बालक को अस्पताल में लाकर विशेष चिकित्सकीय दल द्वारा परामर्श व अन्य पैथोलॉजिकल जाँच करायी गई, जिसमें बालक के स्पलीन बढ़े होने के साथ कठोर पायी गई व हीमोग्लोबिन की मात्रा भी कम पायी गई। सोनोग्राफी व अन्य सूक्ष्म परीक्षण के बाद बालक को थैलिसिमिया व स्प्लीनोमेगाली नामक रोग से ग्रसित पाया गया।
थैलेसीमिया व स्प्लेनोमेगाली एक गंभीर चुनौतीपूर्ण बीमारी है जिसे एक साधारण बी.पी. एल. परिवार को उच्च चिकित्सकीय संस्थान में इलाज कराया जाने के लिए एक विशेष मनोबल व शासन की तरफ से मिलने वाली विशेष सहायता दोनो ही आवश्यक है, ऐसे में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम चिरायु योजना के अंतर्गत चिरायु टीम द्वारा समय-समय पर श्री नीलकंठ को जिला स्तर व राज्य स्तरीय चिकित्सकीय संस्थान ले जाया गया और बालक की सफलतापूर्वक सर्जरी करायी गई जिसे कुछ दिनों आईसीयू में रहने के पश्चात् डिस्चार्ज कर दिया गया। अब नीलकंठ अपनी सभी सामान्य बालकों की तरह स्कूल में पढ़ाई कर रहा है और खेल-कूद के साथ ही अपनी दिनचर्या के सभी काम करने में खुद सक्षम है।
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