छत्तीसगढ

Case of Urla of Abhanpur : फर्जी ट्रस्ट बनाया और दान में मिली 22 एकड़ जमीन बेच डाली

रायपुर, 28 फरवरी।Case of Urla of Abhanpur : ट्रस्ट के नाम पर दान में दी गई जमीन पर कब्जा व बिक्री करने का मामला सामने आया है। अभनपुर के उरला गांव के भगवान शंकर पार्वती मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने 22 एकड़ जमीन पर कब्जा कर बेच दिया है। इसका खुलासा पत्रिका को मिले दस्तावेजों से हुआ पत्रिका के पास कथित ट्रस्ट के गठन और अब के दस्तावेजों उपलब्ध है, जिसमें अब ट्रस्ट के पास सिर्फ 6 एकड़ जमीन ही शेष रह गई है। बाकी की भूमि का बंदरबांट हो चुका है।

बता दे की (Case of urla of Abhanpur) मंदिर के नाम पर 19 अगस्त 1943 में गांव के ही गिरधारी पिता कटारे ढीमर ने दान में दी गई थी। जिसके बाद से कुछ के लोगों ने ट्रस्ट के नाम पर मंदिर की देखरेख करना शुरू किया। कुछ साल तक सब ठीक ठाक रहा फिर सदस्यों का फोकस मंदिर की जगह जमीन की बिक्री पर हो गया। अब मंदिर की देखरेख दानदाता के परिजन ही कर रहे है।

भूमि को गिरवी रख ले लिया लाखों का लोन
अधिकार अभिलेख के रेकार्ड के मुताबिक वर्ष 1954-55 में मंदिर के नाम सर्वाकार मानिक लाल राम लाल को गिरधारी लाल ने मंदिर के देखरेख की जिम्मेदारी दी थी। तब से जमीन का बंदरबांट शुरू हो गया। इतना ही नहीं इसी भूमि पर लोगों ने लाखों रुपए का बैंक लोन भी ले लिया। अब मामले की शिकायत हुई कब्जेदार खुद को ट्रस्टी बता रहे हैं। जबकि ट्रस्ट का पंजीयन ही नहीं हुआ है।

राजनीतिक रसूख का उठा रहे लाभ
बता दें कि भगवान शंकर पार्वती मंदिर ट्रस्ट की जमीन एनएच 30 से लगी हुई है। जिससे वह भूमि बेशकीमती है। ट्रस्ट के कथित सदस्य एक राजनीतिक पार्टी में पदाधिकारी है, जिससे मामले की जांच और कार्रवाई की हिम्मत प्रशासन नहीं जुटा पा रहा है।

ट्रस्ट का पंजीयन तक नहीं
अभनपुर तहसील में संबंधित ट्रस्ट जानकारी व दस्तावेज आरटीआई से मांगे गए थे। जिसमें मिली जानकारी चौंकाने वाली थी। मंदिर के नाम पर भूमि का रिकार्ड तो मिला लेकिन ट्रस्ट पंजीयन का कोई दस्तावेज उपलब्ध होने की कोई जानकारी नहीं मिली है।

मामले की जांच की जिम्मेदारी अभनपुर के तहसीलदार को दी गई है। जांच की जा रही है। जांच के बाद कब्जाधारियों पर कार्रवाई की जाएगी।

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