
नवभास्कर न्यूज. फरीदाबादः रविवार यानि 21 जून को लगने वाले सूर्य ग्रहण का भारत में विशेष असर पडेगा। यह सूर्य ग्रहण जहां सिंह, कन्या व मकर राशि के लिए बेहद लाभकारी सिद्ध होगा वहीं मिथुन और वृश्चिक राशि के लिए कष्टदायक होगा।
जाने माने ज्योतिष शास्त्री एवं नवग्रहों के विशेषज्ञ डा. बांके बिहारी ने बताया कि इस बार रविवार को लगने वाला सूर्य ग्रहण को चूड़ामणि ग्रहण कहा गया है। यह दो नक्षत्र, दो योगों में मृगशिरा और आर्द्रा नक्षत्र में लग रहा है। इसका प्रभाव भारत वर्ष में 95% तक होगा और सवा तीन महीने तक रहेगा।
यह मिथुन और वृश्चिक राशि के लिए काफी कष्टदायक व एहितयात रखने वाला होगा। वहीं सिंह,मेष,कन्या,मकर राशि के लिए काफी लाभदायक तथा शेष के लिए सामान्य रहेगा।
डा. बांक बिहारी का कहना है कि महाआपदा काल में ग्रहण के समय अधिक से अधिक यज्ञ, पूजा व दान भारत के लिए और स्वंय के लिए काफी लाभदायक होगा। इस ग्रहण का सूतक काल 20जून की रात सवा दस बजे आरंभ होगा और 21 जून को 1बजकर 48 मिनट पर समाप्त हो जायेंगे। ग्रहण का मध्य काल 11बजकर 48 मिनट पर होगा । ग्रहण से पूर्व और बाद में स्नान करना जरूरी है।
क्या क्या करे ग्रहण काल मेंः डा. बांके बिहारी ने बताया कि ग्रहण काल में सूर्य भगवान की उपासना, आदित्य हृदय स्तोत्र, सूर्य अष्टक स्तोत्र का पाठ करें। पका हुआ भोजन,कटी सब्जी को ग्रहण काल में नहीं रखना चाहिए। परंतु तेल ,घी, दूध ,लस्सी, पनीर ,अचार, चटनी में तिल , कुशा, तृण या तुलसी पत्र रख देना चाहिए। सूखे खाद्य पदार्थों में कुछ भी डालने की आवश्यकता नहीं है। तुलसी के पत्ते शनिवार के दिन ही घर में रख लें ।रोग शांति के लिए श्री महामृत्युंजय मंत्र का जप करें ।
विशेष प्रयोग :कांसे की कटोरी में घी भरकर ,उसमें चांदी का सिक्का डालकर अपना मुंह देखकर ,ग्रहण समाप्ति पर वस्त्र, फल, दक्षिणा ब्राह्मण को दान दें। इससे क्लिष्ट रोगों से निवृत्ति होती है।
गर्भवती महिलाएं – कोई भी कार्य न करें तो अच्छा है , जैसे -सब्जी काटना, शयन करना, पापड़ सेकना ,आटा गूंथना उत्तेजक कार्य ,कपड़े धोना, बाल बनाना एवं चाकू -छुरी आदि का प्रयोग।
ओ३म् नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का एक स्थान पर बैठकर जाप करें ।धार्मिक ग्रंथ पढ़ें ,साड़ी के पल्लू को गेरु के रंग से रंगकर एक स्थान पर बैठ जाएं। ग्रहण के पश्चात स्नान, दान करके भोजन करें।
ग्रहण काल में क्या ना करें : डा. बांके बिहारी ने बताया कि ग्रस्त सूर्य बिंब को नंगी आंखों से ना देखें। सूतक एवं ग्रहण काल में मूर्ति स्पर्श, अनावश्यक खाना- पीना, मैथूनम्, निद्रा, तैल मर्दन, झूठ-कपट, वृथा आलाप, नख तथा केश कर्तन वर्जित है।
(रिपोर्टःयोगेश अग्रवाल)