
–श्री सियाराम हनुमान मंदिर सेवा ट्रस्ट द्वारा आयोजित भागवत कथा के तीसरे दिन महाराज श्री सुमेधानंद ने भक्तों को सुनाया प्रह्लाद भक्त चरित्र,बामन अवतार व नारायण कवच
नवभास्कर न्यूज.बल्लभगढः ब्राह्मण वाडॉ स्थित श्री सियाराम हनुमान मंदिर में मंदिर ट्रस्ट द्वारा आयोजित सात दिवसीय श्री भागवत महापुराण कथा के तीसरे दिन कथा व्यास श्री सुमेधानंद जी महाराज वृंदावन वालो ने भक्तों को अपनी वाणी से भागवत महापुराण कथा का भक्तों को रसपान कराते हुए अजामिल कथा,नारायण कवच,बामन अवतार व प्रहलाद चरित्र की कथा सुनाते हुए कहा कि किसी भी स्थान पर बिना निमंत्रण जाने से पहले इस बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए कि जहां आप जा रहे है वहां आपका, अपने इष्ट या अपने गुरु का अपमान नही हो रहा हो।
कथा वाचक श्री सुमेधानंद जी महाराज ने कहा कि यदि अपने गुरू,इष्ट के अपमान होने की आशंका हो तो उस स्थान पर जाना नहीं चाहिए। चाहे वह स्थान अपने जन्म दाता पिता का ही घर क्यों न हो। प्रसंगवश भागवत कथा के दौरान सती चरित्र के प्रसंग को सुनाते हुए भगवान शिव की बात को नहीं मानने पर सती के पिता के घर जाने से अपमानित होने के कारण स्वयं को अग्नि में स्वाह होना पड़ा था। भागवत कथा में उत्तानपाद के वंश में ध्रुव चरित्र की कथा को सुनाते हुए कथा व्यास जी ने समझाया कि ध्रुव की सौतेली मां सुरुचि के द्वारा अपमानित होने पर भी उसकी मां सुनीति ने धैर्य नहीं खोया जिससे एक बहुत बड़ा संकट टल गया। परिवार को बचाए रखने के लिए धैर्य संयम की नितांत आवश्यकता रहती है। भक्त ध्रुव द्वारा तपस्या कर श्रीहरि को प्रसन्न करने की कथा को सुनाते हुए बताया कि भक्ति के लिए कोई उम्र बाधा नहीं है। भक्ति को बचपन में ही करने की प्रेरणा देनी चाहिए क्योंकि बचपन कच्ची मिट्टी की तरह होता है उसे जैसा चाहे वैसा पात्र बनाया जा सकता है।

श्री सुमेधानंद जी महाराज ने कहा कि व्यक्ति अपने जीवन में जिस प्रकार के कर्म करता है उसी के अनुरूप उसे मृत्यु मिलती है। भगवान ध्रुव के सत्कमोर् की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि ध्रुव की साधना,उनके सत्कर्म तथा ईश्वर के प्रति अटूट श्रद्धा के परिणाम स्वरूप ही उन्हें वैकुंठ लोक प्राप्त हुआ। कथा के दौरान महराज ने बताया कि संसार में जब-जब पाप बढ़ता है, भगवान धरती पर किसी न किसी रूप में अवतरित होते हैं। उन्होंने कहा कि कलयुग में भी मनुष्य सतयुग में भगवान कृष्ण के सिखाए मार्ग का अनुसरण करे तो मनुष्य का जीवन सफल हो सकता है। कथा के दौरान उन्होंने बताया कि पाप के बाद कोई व्यक्ति नरकगामी हो, इसके लिए श्रीमद् भागवत में श्रेष्ठ उपाय प्रायश्चित बताया है। प्रह्लाद भक्त के चरित्र के बारे में बताते हुए महाराज श्री ने कहा कि प्रह्लाद ने दैत्य कुल में जन्म लिया था जिसके माता-पिता दैत्य जाति से थे। दैत्य कुल में जन्म लेने के पश्चात भी वह भगवान विष्णु की भक्ति में लीन रहता था जिस कारण आज तक उसका नाम भगवान विष्णु के सबसे बड़े भक्तों के रूप में लिया जाता है।मंदिर ट्रस्ट के प्रधान राजीव गोयल ने बताया कि भागवत कथा की सभी व्यवस्थाएं मंदिर ट्रस्ट व समस्त भागवत प्रेमियों के द्वारा की जा रही है। श्रीमद् भागवत महापुराण के तीसरे दिन प्रवचन सुनने के लिए पूरा शहर उमड़ पड़ा। भागवत पुराण पर दिए जा रहे प्रवचनों को सुनने के प्रति जनता में अपूर्व उत्साह देखने को मिल रहा है। भागवत कथा के तीसरे दिन धु्रव चरित अजमिल एवं प्रहलाद चरित्र के विस्तार पूर्वक वर्णन के साथ संगीतमय प्रवचन दिए।कथा के साथ साथ भजन संगीत भी प्रस्तुत किए गए। साथ ही प्रतिदिन श्री भागवत महापुराण की आरती के बाद प्रसाद वितरण भी मंदिर ट्रस्ट के द्वारा किया जा रहा है।
(योगेश अग्रवाल.9810366590)