
नवभास्कर न्यूज. फरीदाबादः अग्रवाल महाविद्यालय बल्लभगढ़ में सोमवार को संस्कृत विभाग एवं हरियाणा संस्कृत अकादमी पंचकूला (हरियाणा) के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ, जिसका विषय था- वर्तमान परिप्रेक्ष्ये श्रीमद्भगवद्गीताया: योगदानम् (वर्तमान परिपेक्ष्य में श्रीमद्भागवत गीता का योगदान)। अग्रवाल महाविद्यालय प्राचार्य एवं संगोष्ठी संरक्षक डॉ. कृष्ण कांत गुप्ता के मार्गदर्शन में यह संगोष्ठी सफलतापूर्वक संपन्न हुई। संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. कमला भारद्वाज (भूतपूर्व संस्कृत व्याकरण विभागाध्यक्षा, श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृति विश्वविद्यालय ,नई दिल्ली) अध्यक्ष श्री देव प्रसाद भारद्वाज (प्रांतीय अध्यक्ष विद्या भारती) विशिष्ट अतिथि डॉ दिनेश कुमार शास्त्री (निदेशक, हरियाणा संस्कृत अकादमी) मुख्य बीज वक्ता डॉ. कामदेव झा (प्राचार्य डीएवी कॉलेज, पिहोवा) उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. कृष्णकांत गुप्ता ने की। कार्यक्रम का प्रारंभ दीपशिखा प्रज्ज्वलन एवं पौधा देकर अतिथियों के सत्कार के साथ हुआ। महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. कृष्ण कांत गुप्ता ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा गीता के प्रत्येक अध्याय में योग है। पूर्ण मनोयोग से सफलता निश्चित है।प्रत्येक जिज्ञासा का समाधान गीता में है।

मंच संचालन डॉ. रेनू माहेश्वरी द्वारा किया गया। कार्यक्रम संयोजिका डॉ. पूजा सैनी (संस्कृत विभागाध्यक्ष) ने कार्यक्रम की थीम प्रस्तुति की। मुख्य अतिथि प्रोफ़ेसर कमला भारद्वाज ने अपने वक्तव्य में कहा कि गीता पथ प्रदर्शक है। अतः संसार के प्रत्येक क्षेत्र में गीता की प्रासंगिकता है। उन्होंने निष्काम भाव से कर्म और अभ्यास व परिश्रम को ही योग बीज वक्ता डॉ. कामदेव झा ने लौह पुरूष वल्लभ भाई पटेल एवं छठ पर्व की बधाई देते हुए कहा कि गीता की उपयोगिता मरने से पहले और बाद में भी समान रूप से है। उन्होंने गीता का सभी विषयों से समन्वय प्रस्तुत करते हुए विद्यार्थियों को अवसाद से बचने, क्रोध पर नियंत्रण रखने और अपना उद्धार स्वंयम करने को कहा।

कार्यक्रम के अन्य वक्ता डॉ. सतीश चंद्र शर्मा ने गीता को सर्वोत्तम मनाते हुए कहा कि भारत भूमि हिन्दू धर्म की मातृ भूमि आदि अनादि काल से रही है।प्रत्येक मनुष्य की धर्म का आचरण करना चाहिए।उद्घाटन सत्र में लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती के उपलक्ष में सभी को शपथ दिलाई गई। अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट कर कल्याण मंत्र के साथ उद्घाटन सत्र की समाप्ति हुई।
तत्पश्चात दो तकनीकी सत्र हुए। प्रथम सत्र में डॉ. अशोक कुमार मिश्रा (वरिष्ठ प्रवक्ता ,आदर्श महाविद्यालय अंबाला) अध्यक्ष रहे और मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. सतीश चंद्र शर्मा (भूतपूर्व प्राचार्य ,हरियाणा संस्कृत विद्यापीठ बघोला, पलवल) थे। इसके साथ-साथ शोधार्थियों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए । समापन सत्र में अध्यक्ष रूप में डॉ. कामदेव झा प्राचार्य कॉलेज (पिहोवा) थे। मुख्य वक्ता सर्वा लोकानाथा दास (इस्कॉन फरीदाबाद) एवं डॉ. अशोक कुमार मिश्रा (आदर्श महाविद्यालय अंबाला) उन्होंने गीता के महत्व को बताते हुए व्याकरणिक बारीकियों का ज्ञान विद्यार्थियों को दिया। शोधार्थियों एवं प्रवक्ताओं द्वारा शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। समापन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ मार्कंडेय आहूजा (उप-प्रधान जी. आई.ई.ओ गीता एंड भूतपूर्व उपकुलपति गुरुग्राम विश्वविद्यालय गुरुग्राम) ने सर्वप्रथम प्राचार्य जी एवं समस्त महाविद्यालय को इस आयोजन के लिए बधाई देते हुए गीता के महत्व पर प्रकाश डाला और आज की युवा पीढ़ी को ज्ञानयोग व कर्मयोग के प्रति जागरूक किया। विशिष्ट अतिथि डॉ. दिनेश कुमार शास्त्री( निदेशक हरियाणा संस्कृत अकादमी) और सभापति अध्यक्ष के रूप में डॉ. कृष्णकांत (प्राचार्य अग्रवाल महाविद्यालय) बल्लबगढ़ रहे। समापन सत्र के विशिष्ट अतिथि डॉ. दिनेश कुमार शास्त्री ने कर्म क्षेत्र को प्रधानता देते हुए गरीबों की मदद को एवं संकल्प से कर्म करने को प्रधानता दी।धन्यवाद ज्ञापन संगोष्ठी आयोजन सचिव डॉ. रामचंद्र द्वारा किया गया। संगोष्ठी में भारत के विभिन्न राज्यों एवं क्षेत्रों से आए हुए तथा अग्रवाल महाविद्यालय की हिंदी प्रवक्ता श्रीमती मधु सिंगला समेत 200 प्रतिभागियों ने अपनी सक्रिय प्रतिभागीदारिता निभाई और शोध पत्रों का प्रस्तुतीकरण किया। संगोष्ठी का सार श्रीमती मधु सिंगला ने प्रस्तुत किया। संगोष्ठी में अन्य महाविद्यालयों से आये विद्यार्थियों एवं प्रवक्ताओं ने संस्तुति एवं फीडबैक दिए। कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन एवं राष्ट्रीय गान के साथ हुआ।
(योगेश अग्रवाल.9810366590)