
नवभास्कर न्यूज. फरीदाबादः हरियाणा सरकार ने नया फरमान जारी किया है कि निजी स्कूूल एक माह की फीस ले सकेंगे।इन आदेशों केे बाद से बच्चो के अभिभावको की चिंंता भी बढ गई है। जबकि सरकार ने अपने पहले आदेेशोंं में निजी स्कूलों को अभिभावकों से किसी भी प्रकार की फीस लेने पर रोक लगाई थी। ऐसे मेेंं सवाल उठता है कि क्या शक्तिशाली प्राईवेट स्कूल लाबी के सामने हरियाणा सरकार लाचार है? एडवोकेट जितेंद्र सिंगला एवं योगिन्दर गोयल का कहना है कि निजी स्कूूूलों को फीस वसूलने की छूट देकर हरियाणा सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि प्राईवेेट स्कूल लाबी पूरी तरह से सरकार पर हावी है। अगर ऐसा नहीं है तो जब देश इतने बड़े संकट से गुजर रहा हो, उद्योग धंधे , मार्किट , रोजगार सब बंद हों यहां तक कि देश प्रतिदिन करोड़ों रुपए का नुक़सान झेल रहा हो।और लोगों को अपना घर चलाने में यानि रोजी रोटी का जुगाड करने में भी मुश्किल आ रही हो और मध्यम वर्गीय परिवार किसी तरीके से दो जून की रोटी का जुगाड भी मुश्किल से कर रहा हो ऐसे में स्कूलों द्वारा फीस जमा करवाने का फरमान ना तो नैतिक मूल्यों पर खरा उतरता है ना ही मानवीय मूल्यों पर। ये सारा खेल आन लाईन क्लासिस के नाम पर हो रहा है।हरियाणा सरकार द्वारा अपने ही आदेश को दो दिन में ही पलट देना सरकार की इच्छा शक्ति और विश्वसनियता पर प्रश्नचिह्न लगाता है। और इससे साबित होता है कि प्राइवेट शिक्षा संस्थान इतने शक्तिशाली हैं कि सरकार को घुटनो पर लाने का मादा रखते हैं। कुछ दिन पहले ही शिक्षा विभाग हरियाणा ने एक आदेश जारी किया था कि कोई भी शिक्षा संस्थान जब तक हरियाणा मे लॉक डाउन है और शिक्षा संस्थान बंद हैं तब तक किसी भी प्रकार शुल्क की मांग नही करेंगे,परंतु अब विडंबना देखिए कि शक्तिशाली प्राईवेट स्कूल कालेज लाबी के सामने घुटने टेकते हुये हरियाणा सरकार ने अपने ही आदेश को पलटकर स्कूलों को फीस लेने की इजाजत दे दी। सूत्रों के मुताबिक हरियाणा में कई कद्दावर भाजपा नेताओं के स्कूल और कालेज हैं जिनके दबाव में हरियाणा सरकार को अपने ही फैसले को बदलने को मजबूर होना पड़ा। प्राईवेट स्कूलों से प्रेम का खामियाजा खट्टर सरकार हरियाणा के विधानसभा चुनावों में भी भुगत चुकी है।अभिभावकोंं का कहना है कि अब किससे उम्मीद करें? अब तो माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से ही उम्मीद है कि वो इन गरीब अभिभावकों को इस मुसीबत से राहत दिलवाये।। अभिभावकों का कहना है कि सरकार को ना सिर्फ किसी भी तरह की फीस वसूली पर रोक लगानी चाहिए अपितु जितने दिन लॉक डॉउन है उतने दिन की फीस भी माफ करनी चाहिए। अगर आप नए आये फीस वसूली के आदेश को ध्यान से पढ़ें तो उसमे सरकार आदेश नही अपितु स्कूलों के समक्ष दया याचना करती नजर आ रही है। अब सरकार को देखना है कि इस शक्तिशाली प्राईवेट स्कूल कालेज लाबी के आगे घुटने टेकते नजर आना चाहती है या गरीब मध्यम परिवारों के लिए न्यायदाता और मददगार साबित होती है।