
नवभास्कर न्यूज.नई दिल्लीः दिल्ली के शाह ऑडिटोरियम में इस देश के बीमा जगत की सबसे बड़ी ऑनलाइन ट्रेनिंग कंपनी बीमा गुरुकुल के द्वारा एक प्रोग्राम आयोजित किया गया, जिसमे पूरे देश के अलग अलग हिस्सों से आए हुए 800 लोग एक ऐतिहासिक पल के साक्षी बने। मौक़ा था बीमा गुरुकुल के संस्थापक सुमित श्रीवास्तव के द्वारा अपनी वित्तीय स्वतंत्रता की घोषणा का। महज़ 40 साल की उम्र में वित्तीय स्वतंत्रता हासिल करके सुमित श्रीवास्तव ने इतिहास लिख डाला। एक ऐसा मुक़ाम हासिल किया जिसका हर एक इंसान सिर्फ़ सपना देखता है। शायद सपना देखना भी बेहद मुश्किल है। उन्होंने कहा कि वो लोगों को यही संदेश देना चाहते हैं की अच्छी नियत से कमाया हुआ पैसा कइयों की नियति बदलता है। इसलिए वो पैसों को एक अलग ही नज़र से देखते हैं।

इस मौक़े पर उन्होंने बताया की कैसे उन्होंने इस असंभव लगने वाले मुक़ाम को सम्भव कर दिखाया। उन्होंने ये भी बताया की उनकी ही तरह कोई भी व्यक्ति अगर वित्तीय रूप से स्वतंत्रता पाना चाहता है तो वो भी उनके बताये गये कदमों पर चलकर ये हासिल कर सकता है। उन्होंने अपनी ज़िंदगी की कहानी से प्रेरणा देते हुए बताया की किस तरह अपनी ज़िंदगी के शुरुआती पलों में उन्होंने शैम्पू बेचा और चाय तक पिलाने का काम किया। उन्होंने अलग अलग बीमा कंपनियों में नौकरी भी की और उसके बाद ख़ुद एक जीवन बीमा अभिकर्ता के रूप में नये नये रिकॉर्ड बनाके लोगो के सामने मिसाल साबित की। उनका मानना है की सफलता सिर्फ़ ख़ुद को कामयाब करने में नहीं है, असली सफलता दूसरों को कामयाब बनाने में है। इसी सोच को अपना मिशन बनाते हुए उन्होंने अपनी ट्रेनिंग कंपनी बीमा गुरुकुल की शुरुआत की जो आज 200 करोड़ की वैल्यूएशन वाली कंपनी बन चुकी है और उन्होंने ये भी बताया की अब उनका मिशन सामाजिक कार्यों में अपनी गतिविधियों को और बड़ाने की है। उन्होंने बताया कि बीमा गुरुकुल के सभी विद्यार्थियों को लीडरशिप की ट्रेनिंग देने के लिए उन्होंने एक ऐसी मुहिम छेड़ी है जिसके बाद इस देश में पहली बार बीमा गुरुकुल आर्मी का गठन किया जा रहा है और अगले दो वर्षों में बीमा गुरुकुल की इस देश में 100 से अधिक ब्रांच खुलने जा रही हैं। लक्ष्य बीमा गुरुकुल को 1000 करोड़ की कंपनी बनाने का है और बीमा गुरुकुल से आने वाली कमाई का ज़्यादा से ज़्यादा हिस्सा सामाजिक कार्यों में लगते हुए गरीब बच्चों के लिए मुफ़्त शिक्षा देने वाले विद्यालय खोलने का है।

उनसे पूछे जाने पर उन्होंने बताया की वित्तीय स्वतंत्रता का अर्थ ये है की आपको इसके बाद अपनी ज़िंदगी में काम करने की या पैसों के लिए काम करने की ज़रूरत ना रहे। आप एक कर्मठ व्यक्ति की तरह पूरी ज़िंदगी देश की उन्नति के लिए कार्य करें या ख़ुद अपने लिए करें, पर वो कार्य किसी मजबूरी या पैसों की ज़रूरत के लिए ना किया जाये। आप इस ज़रूरत से स्वतंत्र हों और आप कह सकें की अब अगर आप पूरी ज़िंदगी भी कार्य नहीं करें तो भी जीवन यापन के लिए आपको कार्य करने की ज़रूरत नहीं है।
(योगेश अग्रवाल.9810366590)