मध्यप्रदेश

MP News : नसरुल्‍लागंज का नाम बदला, अब कहलाएगा भैरुंदा, अधिसूचना जारी

भोपाल/सीहोर, 02 अप्रेल। MP News : नसरुल्‍लागंज का नाम बदला, अब कहलाएगा भैरुंदा, अधिसूचना जारी यूं तो नसरुल्लागंज का नाम बदलने को लेकर लंबे समय से स्थानीय लोग मांग कर रहे थे। 2021 में इसकी घोषणा भी सीएम कर चुके थे, पर नाम नहीं बदला जा रहा था। लोगों की एक उचित मांग को भी सरकार का समर्थन नहीं मिल पा रहा था। तब नवदुनिया ने इस मामले को उठाया और लोगों के साथ मिलकर इस अभियान के लिए उनकी आवाज को बुलंद किया। अभियान के दौरान नवदुनिया ने लोगों की मांग के साथ यह तथ्य भी सामने रखे कि क्यों नसरुल्लागंज का नाम भैरुंदा होना चाहिए। इसके साथ ही नगर का इतिहास भी लोगों को बताया था। इस अभियान के दौरान ही एसडीएम ने कलेक्टर को और कलेक्टर ने अपने उच्च अधिकारियों के माध्यम से सरकार तक प्रस्ताव पहुंचाया। जिसके सुखद परिणाम दो अप्रैल को समाने आए। यह दिन नसरुल्लागंज के लिए बहुत खास है। क्योंकि इसी दिन नगर का गौरव दिवस मनाया जा रहा है और गौरव दिवस के दिन ही सुबह जैसे ही राजपत्र जारी होने की सूचना लोगों तक पहुंची तो नगर में उत्सव मनाया जाने लगा और अभियान से जुड़े लोगों ने एक दूसरे को बधाई देने के साथ ही अभियान से जुड़कर नवदुनिया को उनकी आवाज बुलंद करने के लिए आभार जताया।

बीते वर्ष नर्मदापुरम का गौरव दिवस मनाया गया था। तब नर्मदापुरम का नाम होशंगाबाद था। गौरव दिवस के दिन होशंगाबाद नर्मदापुरम और बाबई को माखननगर का नाम दिया गया। लेकिन नसरुल्लागंज के लोग निराश हो गए। क्योंकि वे अपने नगर का नाम प्राचीन पहचान के आधार पर ही ही रखना चाहते थे। उन्होंने तुरंत अपनी आवाज बुलंद की और इस आवाज को नवदुनिया ने बल दिया। नागरिकों की आवाज जो उनके नगर तक ही सीमित थी उसे प्रदेश स्तर तक लेकर गए। नवदुनिया परिवार के सदस्यों ने इसको लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से चर्चा की। इस दौरान उन्होंने अश्वासन दिया कि आपकी और आम लोगों की इस जायज मांग को हम जल्द ही पूरा करेंगे। नगर के गौरव दिवस के दिन लोगों को नसरुल्लागंज के नाम परिवर्तन के साथ भैरुंदा के रूप में सौगात मिली है।

भोपाल रियासत में भी था भैरुंदा

नसरुल्लागंज के इतिहास पर गौर करें तो इसका संबंध भोपाल के नवाब परिवार से है। नवाब सुल्तानजहां बेगम ने अपने तीनों पुत्रों को भोपाल के पास जागीर दी थी। सबसे बड़े बेटे नसरुल्ला खां को दी गई जागीर का नाम उनके नाम पर नसरुल्लागंज पड़ा। इसी प्रकार औबेदुल्लागंज, औबेदुल्ला खां की जागीर थी। सुल्तानजहां बेगम ने अपने सबसे छोटे बेटे हमीदउल्ला को चिकलोद की जागीर दी थी। नसरुल्ला खां और औबेदुल्ला खां की मौत पहले हो जाने के कारण भोपाल रियासत का नवाब हमीदउल्ला खां को बनाया गया था। भोपाल रियासत का 1908 का राजपत्र नोटिफिकेशन बताता है कि नसरुल्लागंज का नाम उस वक्त भैरुंदा ही था। राजपत्र में उल्लेख है कि भैरुंदा भोपाल रियासत के दक्षिणी संभाग के आठ परगना में से एक परगना था। उस वक्त भैरुंदा और आस-पास दरी बुनने का काम होता था और काफी बुनकर यहां रहते थे।

भैरु भगवान में आस्था के कारण रखा गया था भैरुंदा नाम

जहां आज नगर नसरुल्लागंज बसा हुआ है, वहां एक छोटा सा नगर हुआ करता था। जहां कुछ जाति विशेष के लोग और अन्य समाज के लोग रहते थे। तब इसका नाम नसरुल्लागंज नहीं भैरुंदा था। यह नाम पुरानी परंपरा के आधार पर रखा गया था। पहले लोग गांव, शहर या कस्बे का नाम उसे बसाने वाले व्यक्ति, किसी जाति विशेष के आधार या अपने अराध्य देव के नाम पर रखते थे। भैरुंदा का नाम भी इसी परंपरा के आधार पर पड़ा। दरअसल यहां निवास करने वाले कलोता समाज के लोगों के अराध्य देव भैरु महाराज है। भैरु जी में आस्था होने के कारण ग्रामीणों ने इस ग्राम का नाम भैरुंदा रखा था। कालांतर में जब मालवा, भोपाल और आसपास के क्षेत्र में मुगलों का राज कायम हुआ तो उन्होंने भैरुंदा का नाम बदलकर नसरुल्लागंज कर दिया था।

लंबेे संघर्ष का सुपरिणाम

नसरुल्लागंज का नाम भैरुंदा किए जाने को लेकर एक लंबी लड़ाई लड़ी गई। नगर का नाम तो 2 अप्रैल को बदला गया, पर यहां के लोग बरसों से अपने प्रतिष्ठानों और पते में नसरुल्लागंज के साथ भैरुंदा भी लिखते आ रहे हैं। इसका हिस्सा नवदुनिया परिवार भी है। पिछले एक साल से नवदुनिया नसरुल्लागंज के साथ भैरुंदा भी लिख रहा है। इस लड़ाई के एक साल पहले मुख्यमंत्री ने माता-पिता की स्मृति में आयोजित किए क्रिकेट टूर्नामेंट के दौरान 22 फरवरी 2021 को में जनभावना को देखते हुए और भारत माता उत्सव समिति के ज्ञापन देने के बाद मंच से नसरुल्लागंज का नाम उसके प्राचीन नाम भैरुंदा करने की घोषणा की थी। जिससे सभी नगर के लोगों में उत्साह का माहोल बन गया था, लेकिन घोषणा पूरी नहीं हुई और एक साल बाद फरवरी 2022 से नवदुनिया ने इसे अपना अभियान बना लिया। जिसमें हजारों लोगों ने जुड़कर कई गतिविधियां की। प्रशासन से लेकर शासन और मुख्यमंत्री तक अपनी बात पहुंचाई और अब वे उत्साहित हैं अपनी जीत पर।

इस तरह चली नाम बदलने की प्रक्रिया

नगर का नाम बदलने की प्रकिया लंबी होती है। जो नगर से शुरू होकर विधानसभा पहुंचती है। जहां सरकार की सहमति के बाद केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय के पास यह प्रस्ताव जाता है और वह अन्य एजेंसियों, जैसे रेल मंत्रालय, डाक विभाग, सर्वेक्षण विभाग से रिपोर्ट मांगता है और तब केंद्र इस पर अपनी मुहर लगाता है। केंद्र की सहमति से बिना यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाती है। नवदुनिया के अभियान के साथ यह प्रक्रिया शुरू हुई, जो दो अप्रैल को नगर के गौरव दिवस के लिए राजपत्र जारी होने के साथ साकार हुई।

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